दोस्ती का पर्व
आज से कुछ दिन पहले एक छोटे से गांव में दोस्ती का पर्व मनाया जा रहा था। इस पर्व में सभी बच्चों ने दोस्तों से बांधे जुल्मिल पट्टे बाँधकर उन्हें गेंद या चींटी पकड़ने जैसी कई खेल खेले।
दोस्ती का पर्व दो दिनों तक चला। दोनों दिन बच्चे बिना थके-हारे खेलते रहे। लेकिन दूसरे दिन शाम को अचानक आसमान में गरज-गरज कर बादल जमने लगे। सभी बच्चे अपने-अपने घरों की ओर भागने लगे।
वहां एक लड़का अपने दोस्त से जुड़ा हुआ नहीं हो पाया था। वह तनहा होकर अपने घर की तरफ चला गया। अभी उसकी आँखों से आंसू नहीं सूखे थे कि उसे उसके दोस्त का अचानक सामने दिखा। दोनों ने आपस में गले लगाया और एक-दूसरे को बहुत याद किया। उन्होंने एक-दूसरे का हाथ पकड़ लिया और वादा किया कि वे हमेशा एक-दूसरे के दोस्त रहेंगे।
इस तरह दोस्ती का पर्व खत्म हो गया, लेकिन उनके दिलों में दोस्ती के लिए एक नया त्योहार बसा हुआ था। अब से वे हर साल इस दिन को दोस्ती के नाम करेंगे और इस मौके पर उनकी दोस्ती और मजबूत होगी।
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